संदीप कुमार सिंह 03 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5152 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) जीवन का कुछ लक्ष्य है, जिसमें भरें प्रकाश। दो दिन के मेहमान सब,होते नहीं निराश।। दो दिन के मेहमान है,जीवन का यह डोर। हरदम रखिए सादगी,खोए कभी न भोर।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....