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आहिस्ता चल मेरे जिन्दगी

Sanam kumari Shivani 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य 7753 0 Hindi :: हिंदी

आहिस्ता चल मेरे जिन्दगी
अभी कई कर्ज चुकाना बाकी हैं।

कुछ दुख मिटाना बाकी हैं
कुछ फर्ज निभाना बाकी हैं।

रफ्तार तेरे चलने से,
मुझे लगता है डर

कुछ रूठ गए कुछ छूट गए
रुठो को मनाना बाकी हैं
रोतो को हंसाना बाकी हैं।

कुछ रिश्ते बनकर टूट गए
कुछ जुड़ते जुड़ते छूट गए

उन टूटे छुटे रिश्ते को
जख्मों को मिटाना बाकी हैं।

कुछ ख्वाहिश अभी अधुरी है
कुछ काम भी और जरूरी है।

जीवन की उलझन पहेली को
पूरा सुलझाना बाकी हैं।

जब सांसों को थम जाना है
क्या खोना क्या पाना है।

पर मन की जिद्दी हट्ठी हूं
ये बात बताना बाकी हैं।

आहिस्ता चल मेरे जिन्दगी
अभी कई कर्ज चुकाना बाकी हैं।


        By -- sanam kumari Shivani 

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