संदीप कुमार सिंह 29 Apr 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत मेरी यह ग़ज़ल समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 6794 0 Hindi :: हिंदी
प्यार की एक बगिया बनाया हूं, ज़िंदगी एक मिशाल बनाया हूं। भीड़ भरे इस दुनिया में गम क्यों, गम को ही मैं हथियार बनाया हूं। देखो एक पक्षी की उड़ान देखो, उससे अपना आदर्श बनाया हूं। हवाओं में परवाज़ करूं की चाह, अपने को सदा बहार बनाया हूं। प्यार की लौ मद्धिम ना होने दूं, रंगीन दुनिया प्यार से बनाया हूं। अब सारा कुछ तो पाया ही हूं मैं, अपने तजुर्बा से सब बनाया हूं। तमन्ना अभी भी मस्त अंदाज़ में, तमन्नाओं से ही मुकाम बनाया हूं। दिल को दिलदार रंग से हूं रंगा मैं, दिलदारी से सिर्फ़ बंधु बनाया हूं। प्रीत संदीप जी खूब निभाया है, हर सह दिल से अपना बनाया हूं। संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....