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आकाश अगम 30 Mar 2023 आलेख समाजिक #Lord #krishna #article #akashagam 87524 0 Hindi :: हिंदी

कई बार विभिन्न विद्वानों द्वारा उपदेशित किया जाता है कि व्यक्ति को एकांतवास करना चाहिए । इससे व्यक्ति के ज्ञान , बुद्धि , सद्गुण एवं मनोबल का विकास होता है। परंतु हमने कई बार देखा है कि एकांतवास से व्यक्ति के ज्ञान में विकास होने की बजाय अज्ञान में विकास हो जाता है । ऐसा क्यों ? ऐसा इसलिए क्योंकि हमने भौतिक रूप से निर्जन स्थान में निवास करने को ही एकांतवास समझ लिया। स्मरण कीजिए कि क्या आप आध्यात्मिक रूप से अकेले रह पाते हैं ? 
नहीं।
क्योंकि जब आप अकेले होते हैं तो आपके साथ एक अदृश्य व्यक्ति और होता है। और वो व्यक्ति है स्वयं आप । स्मरण कीजिए कि अकेले में बैठ कर , क्या आप भाँति भाँति की कल्पनाएँ नहीं करते ? क्या स्वयं को अन्य व्यक्तियों से श्रेष्ठ नहीं देखते ? हम सब अकेले रह कर भी अकेले नहीं रह पाते।  एकांतवास तभी अर्थवान हो सकता है जब हम स्वयं को भी भूल जायें।
अब कई विद्वानों से हमनें सुना है कि अकेले में ख़ुद से बात करो। उचित है। परन्तु इससे तो हमने जो निष्कर्ष निकाला ; असत्य सिद्ध हो गया। नहीं। क्योंकि स्वयं से कोई प्रश्न करने का तात्पर्य  हुआ कि मैं , मैं (स्वयं ) से कोई प्रश्न करूँ। और मैं अहंकार को सूचित करता है । तो क्या अहंकार आपको उचित मार्ग दिखा पाएगा ?
स्वयं से बात करने का तात्पर्य है , अपने हृदय में विराजमान उस शक्ति से बात करना जिसे ईश्वर कहते हैं , कृष्ण कहते हैं।
धन्यवाद🙏🙏🙏

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