Bhavnajain 02 May 2023 कविताएँ समाजिक 8287 0 Hindi :: हिंदी
है तोवैसे दिव्य शाक्ति पर कहलाती आंवला है।। है सब उसका पर मंजूरी उसकी नहीं।। जीती है सबके लिए जिंदगी सिमट सी गई उसकी पहचान खो सी गई उसकी वह क्या थी खुद भूल गई।।
Login to post a comment!
...