संदीप कुमार सिंह 14 Jun 2023 कविताएँ समाजिक इरादा, दूर, जर्रे _जर्रे,परवाह नहीं, सोच, राही, चलते जाना, चलना, सुहानी रात। 6453 0 Hindi :: हिंदी
बस अपने इरादों को हम देखते हैं जर्रे_जर्रे पर अपना ही अक्स देखते है। परवाह नहीं की लोगों की क्या सोच है, बस दिल में अच्छा ही करने की सोच है। लोगों का काम है कहना, सो कुछ न कुछ कहेंगे ही। राही का काम है चलते जाना, चलते जाना_चलते जाना। थकना मेरी आदत नहीं है, बस अपने इरादों को हम देखते हैं। सूर्य देव यदि नित न निकलें, तो दिन नहीं होगा। गर नित न ढलें, तो सुहानी रात न आएगी। बाधाएं इनके सामने भी आती है, परन्तु ये हर हाल में रुकते नहीं। होठों पे प्यार भरा तराना है, और मस्तिष्क में काम ही काम है। कदमों में प्यार का संगीत है, और आंखों में बस अपना इरादा है। बातें तो करने को बहुत है, लेकिन मेरे पास समय कम है। उसपर विपदाएं भी कम नहीं है, फिर भी हौसला है गम नहीं है। फौलादी जिगर लिए लड़ना है, जीत को निश्चय प्राप्त करना है। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....