Mukesh Namdev 08 Oct 2023 शायरी प्यार-महोब्बत टुकड़ों पे,कारोबार,मसरूफ,मुलतवी,कलम 14749 0 Hindi :: हिंदी
"टुकड़ों पे" "हम मसरूफ क्या रहने लगे कारोबार में,की उनकी यादों को लगा की,अब उनकी कलम से निकले हुये अल्फ़ाज दोबारा मुलतवी न हो पायेंगे, कागजों के टुकड़ों पे" #Mukesh Namdev