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प्रकृति अनुपम कृति हैं-यह इसकी पहचान है

RANJEET KUMAR 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य प्रकृति अनुपम कृति हैं, सौन्दर्य बोध, प्रकृति वर्णन, प्रकृति की रचना 85801 0 Hindi :: हिंदी

प्रकृति अनुपम कृति हैं, यह इसकी पहचान है।
कहीं पेड़ों की छांव में, पक्षी बैठे शान्त से
कहीं अपनी चोंच खोले, ध्वनि करते आन से।
कहीं बरसात का पानी है, कहीं नदियों की धार है।
प्रकृति अनुपम कृति हैं, यह इसकी पहचान है।
कहीं धूप से थक कर, बैठा आदमी छांव में।
प्रकृति की छटा निराली, यह इसकी पहचान है।
कहीं समुद्र उफन रहे हैं, कहीं शान्त सरोवर हैं।
कहीं पशु दौड़ रहे हैं, कहीं बैठे शान्त से।
प्रकृति अनुपम कृति हैं, यह इसकी पहचान है।

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