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भेदभाव को भूलकर-खेलें होली रंग

संदीप कुमार सिंह 30 Jun 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5668 0 Hindi :: हिंदी

दोहा छंद
भेदभाव को भूलकर,खेलें होली रंग।
सरिता बन अनुराग की,लेकर सज्जन ढंग।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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