Samar Singh 20 Apr 2023 कविताएँ देश-प्रेम कभी निराश हो तो कविता एक बार पढ़ना, फिर आप पीछे मुड़ के नहीं देखोगे। 7358 1 5 Hindi :: हिंदी
तू जागेगा! तू जागेगा, तू जागेगा, हर अंधेरा यूँ भागेगा। तू कौन नहीं, तू मौन सही, तुझमें चितौड़ कहीं। तू है आजाद, फूंके शंखनाद, तुझमें शेरों का उन्माद। तुझको क्या डरना, जीना या मरना, कर एक गर्जना, जंगल थर्रायेगा, पर्वत लड़खड़ायेगा, तू जागेगा, तू जागेगा, हर अंधेरा यूँ भागेगा। तुझमें सूर्य प्रचंड, तुझमें भारत अखंड, तू हिमालय का घमंड, सनसनाती हवा, बढ़ता जाए कारवां, तुझमें जुनून रवा। तेरी दहाड़, पिघलेगा पहाड़, नदियों में नीर भागेगा, तू जागेगा, तू जागेगा, हर अंधेरा यूँ भागेगा। तेरे अंदर, तैरता समंदर, साँसों में भयंकर, तुझमें सब जवाब, तू है नायाब, तुझमें इंकलाब, तुझमें न हो भय, है तेरा समय, तुझमें प्रलय। तू दहकता अंगार, तुझमें मचलता संसार, तू खुद जागेगा, सबको जगायेगा, तू जागेगा, तू जागेगा, हर अंधेरा यूँ भागेगा।। रचनाकार- समर सिंह "समीर G"