Manisha Singh 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य #Hindi #Poetry #New #chdtiumrorbachpan #news #google #Status 12714 0 Hindi :: हिंदी
तक़लीफो से घिरा... गुमसुम सा बैठा जो वो बूढ़ा व्यक्ति आँगन में आये नन्हे मेहमान को देखकर कुछ यूँ उछला के एक सीमा जो खींची थी उम्र.की उन दोनों के बीच कब लाँघि पता न चला दिन भर उछल कूद की खूब धूम मचाई सूरज कब छिपा कोई खबर नही... वो दोनों मग्न थे अपनी धुन में इतने में एक आवाज़ आयी जिसने उस नंन्हे मेहमान को "मेरा बच्चा " पुकारा और उसे "अंकल" कह , उसे उसकी उम्र याद दिलायी बड़े प्यार से दुलारती उस नन्हे मेहमान को ले गयी वो महिला अपने साथ... शून्य सा ख़ाली हो गया वो बूढ़ा व्यक्ति... और एक और उम्र थी जो दूर खड़ी मुस्कुरा रही थी लौट आया नीरस मन से वो बूढ़ा फिर उम्र की उसी सीमा में, जो घिरी थी ज़िंदगी के सौ फ़जीतो से उम्र से भला कौन जीत पाया |
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