Manisha Singh 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य Hindi, Poetry, Stories, New, #kitabe 16409 0 Hindi :: हिंदी
आज से करीब दस साल पहले मैने एक किताब खरीदी थी चुटकुलों की, पर इस भाग दौड़ भरी ज़िंदगी ने मुझे उसके एक भी पन्ने को पढ़ने का मौका न दिया दौड़ती रही ताउम्र मैं सबको खुश करने के लिए कभी इधर भागती कभी उधर इस सब में ख़ुद की मुस्कुराहट कहा छूटी पता ही ना चला आज वो सब ख़ुश है और मैं...तन्हा! * * * * * तभी ख़्याल आया उस किताब का जो आज भी मेरे स्कूल बैग की सबसे आख़री वाली चैन में पड़ी थी फिर क्या...डाल कुर्सी बरामदे में, चढ़ा आँखों पर चश्मा बैठी हूँ पहला पन्ना खोलकर, आज उस किताब का और देखो हँसी फूट पड़ी!
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