Shiv Kishore 25 Jul 2023 शायरी समाजिक साकी और पैमाना # सारी जिदंगी # चार पैसे 8381 0 Hindi :: हिंदी
दो घूंट पीते रहे जा_ जा कर मैखाने में , डूबे रहे सुबह_ शाम साकी और पैमाने में , जमा न कर पाई नन्हीं पाई उम्र भर मैने__ सारी जिदंगी गुजार दी चार पैसे कमाने में । _ शिव किशोर , शाहजहांपुर , यूपी