Sudha Chaudhary 21 Jul 2023 ग़ज़ल अन्य 9255 0 Hindi :: हिंदी
रुके जिस भीड़ में मेरा ठिकाना तुम नहीं उठे जो हाथ हैं इसे आजमाना तुम नहीं। तेरी गफलत अब मुझे गम देती नहीं बस मेरी ख़ाक पे अब रोना तुम नहीं। अपने फितूर में दुनिया मरी जाती है गिनती के दिन हैं उन्हें यूं गवाना तुम नहीं। ताश के पत्तों से वह गिरने पर आमादा है संभल जाओ, कोई मरहम लगाना तुम नहीं। हौसला है तो करीब मंजिल है वहां पहुंचकर लौट कर आना तुम नहीं। जागना है तुझे अपनी अंधेरी दुनिया से गैरों की बात में बहक जाना तुम नहीं। सुधा चौधरी बस्ती