संदीप कुमार सिंह 12 Jul 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी रोमांचित होंगें। 5338 0 Hindi :: हिंदी
धीरे_धीरे प्यार की यह सफ़र बढ़ता ही रहा, एक_दूजे के लिए हसी हसरतें बढ़ता ही रहा, दूर जीना मुश्किल था बस मिलने की चाह_ दोनों तरफ के दिल का आलम बस यही रहा। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....