तुम ऐसे जो महफिल में नजर चुरा रहे हो
क्या बात है जो मुझसे छुपा रहे हो
हम भी तुम्हारे हमसफर बनने की चाहत रखते हैं
तुम्हारे दिल में भी यही तमन्ना है क्या
तुम कब से छुपा रहे हो
कहने को बहुत कुछ है दिल में
पर तुम जो नजरें चुरा रहे हो
कुछ बात है जो कहने से हमें रोक रही है
क्योंकि आज कल तुम भी मौसम की तरह
रंग बदल रहे हो
क्या शिकायत करें दुनिया से
शिकायतें जो तुम्ही देते जा रहे हो