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गुम हुआ हूँ मैं-गम के सहरा में

मनोज कुमार 30 Jun 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत #गुम हुआ हूँ मैं#दिल के एहसास #यादें 7992 0 Hindi :: हिंदी

गुम हुआ हूँ मैं


कल रोज़गार के सिलसिले में,
इक सौदा हुआ था
ख्वाहिशें थी कि... इकतरफा हो
ये दुनिया के नगमें कोई भी हो
इसमें चुप हो,
लेकिन उनकी ख्वाहिशें कभी
मेरी तरफ़ नज़र नहीं उठाई
कि आ थोड़ा - सा प्यार कर लें
मुझसे भी इकरार कर लें

ये बातें जब भी जेहन में उठती हैं
मेरी नसों में कतरे बनके घुलती है
क्यूँ महफ़िल में ये दिल ठहर नहीं पाया,
जो गुम हूँ...
बंद है उनकी नज़र, आज भी
परदे है साएँ पर
गम के १सहरा  में गुम हुआ हूँ मैं

इस हादसों में ऐसे मोड़,
जो जिन्दगी की गाड़ी मुड़ नहीं पाईं
कमबख्त ऐसे इरादे थे उनके,
जो वो है आज भी पराई 


१जंगल 
_ मनोज कुमार
   गोण्डा उत्तर प्रदेश

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