संदीप कुमार सिंह 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक लोगों के लिए प्रेरणा से भरपूर मेरी कविता जिसका शीर्षक ऊपर दिया हुआ है। 51535 0 Hindi :: हिंदी
राही हूं, चलते_चलना है, पथ कोई भी हो, बढ़ते रहना है। प्रकाश फैलाऊं, धरा से लेकर आसमा तक। खिला हुआ रहे सदा पृथ्वी, अति सुन्दर है जग सारा। नित्य ही कोई कामना करूं, पूर्वजों की सारी कल्पना, सकार करूं। जख्म भी होंगें_गम भी होगें, जाँचना भी होंगें_याचना भी होंगें। परीक्षा कठिन होगी, पर हैं हम धीर सपूत, कदम हमारे ना रुकेंगें। राही हूं चलते_चलना है।
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....