Abdul Qadir 07 May 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत मुहब्बत 8249 0 Hindi :: हिंदी
पहले जो था खुमार ओ खुमार आती नहीं है। बूढ़े दरख्त पर फिर से बहार आती नहीं है। पहले बुलबुले चहचाहती थी जिस साख पर। उस साख पर फिर से कोई आती नहीं है। शायद गुल में अब ओ तवानाई नहीं है। इसलिए अब तितली ओ बलखाती नहीं है। एक चोट पर मरहम जो लेकर के थे आते। अब दर्द का मरहम वो ले आती नहीं हैं।