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बदली झुकी पर्वत पर

संदीप कुमार सिंह 30 Apr 2024 कविताएँ प्यार-महोब्बत मेरी यह कविता आप सभी को अवश्य पसंद आएगी. 244 0 Hindi :: हिंदी

बदली  झुकी  पर्वत पर,भँवरे चमन    में  डोले।
मोसम  है  मिलन  का,बुलबूल  फूलों  से  बोले।
ये  वक्त  नहीं  है  इन्तजार  का,  ओ  साथी  मेरे_
तूँ  कमसिन  कम नहीं,  मैं जवां साथी तेरा भोले।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️

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