Sunny Kumar 24 Jun 2023 कविताएँ समाजिक प्रकृति के वरदान, प्राकृति के वरदान, prakriti ke vardan, prakriti par kavita, nature poems 7345 1 5 Hindi :: हिंदी
प्रकृति के वरदान हम सब प्रकृति के वरदान अम्बर, जल ,वायु और अग्नि मानव का करती उत्थान हम सब प्रकृति के वरदान पेड़ पौधें, जलीय जीवन बाग बगीचे और ये उपवन यह अपार शोभायमान हम सब प्रकृति के वरदान पहाड़, पठार, मरुस्थल, जंगल नदी, नहर, झरना, निर्झर करते हैं मनोहर गान हम सब प्रकृति के वरदान वन वायु धरा जल जीवन खेत खलिहान ग्रामीण जीवन फल सब्ज़ी मसहार अनुप्राशन जग का है विधान हम सब प्रकृति के वरदान फिर भी प्रकृति को हम, सब ठेस पहुंचाते हैं भौतिक सुख के खातिर, पेड़ पौधें को काटते हैं नदी को दूषित करते, छणिक न सोंचते हैं मोटरगाड़ी कभी–कभी हम, वे वजह दौड़ाते है प्रकृति के बिन हम सब, क्या छणिक भी जी पाएंगे शुद्ध हवा, स्वच्छ जल के, क्या स्वस्थ्य रह पाएंगे प्रकृति रूप बदलेगी, जब भी कभी–भी एक दिन क्या इससे लड़ पाएंगे, ये मानव कभी किसी दिन करोना से बड़ी महामारी, जब भी यहां आयेगी सभ्याता समाप्त होगी, दुर्गति की घड़ियां गिन गिन हमारा कर्त्तव्य यही है, प्राकृति का ध्यान रखें हम जो भी इस से हैं लेते, हर संभव वापस करें हम अपने किए कि खातिर, हम सब प्रण आज लेंगे अपने जन्म दिवस पर, कम–से–कम एक पेड़ लगाएंगे ~Sunny Kumar
9 months ago