संदीप कुमार सिंह 02 Jul 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4735 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) आओ मित्रों बैठ लूं,दिल से दिल लूं जोड़। चले न कोई जोर अब,कोई हमें न तोड़।। रिमझिम सी बरसात में,मुझे हुआ है प्यार। चले न कोई जोर अब,सुन लो यह दिलदार।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....