कांतिलाल चौधरी 30 Mar 2023 कविताएँ अन्य Google 8867 0 Hindi :: हिंदी
रिमझिम रिमझिम बरखा बरखे फसलों पर तो ओला बरखें। कुटिया में पानीडो़ टपके। अंबर ज्यों दही का मटका। टप टप ,टप टप माखन बरखे। आनंद तो फसलों को आवे। बरखा प्रिय टर टर बोले प्रांगण था या पुष्कर रिमझिम रिमझिम बरखा बरखे फसलों पर तू ओला बरखे — कांतिलाल चौधरी