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"सब टूट गये सब छूट गये सपने सारे छूट गये "

Shreyansh kumar jain 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद 5000 39803 0 Hindi :: हिंदी

सब टूट गये सब छूट गये,
सपने सारे छूट गये, 
अपने ही जब बेकरार हुए,
सपनो के सारे चक्कर छूट गये ।
जिन्हें समझा हमने अपना वह पराये होकर छूट गये, 
कुछ चंद लकीरों के कारण अपने रिश्ते सारे टूट गये,
मेरे सारे सपने छूट गये मेरे अपने मुझसे जब रूठ गये,
काँच सा था यह दिल मेरा अब इसके टूकड़े- टुकडे हो कर टूट गये।
मेरे अपने इस सफर में ना जाने कितने सपने छूट गये, 
जिन्हें समझा हमने अपना वह पराये होकर छूट गये, 
जिदंगी की इस जदोजद मैं बचपन के रिश्ते छूट गये, 
जिनसे पायी थी है यह दुनिया हमने उनके दुःख-दर्द भी हम भुल गये ।
बचपन में जो खायी थी कसमे वो कसमे सारी टूट गयी,
दोस्तों के बीच जो सजायी थी हमने महफिल सारी वो महफिल अब वह लूट गयी,
शोहरत पाने के चक्कर में बचपन की वह दोस्ती पल भर में यूँह टूट गयी,
मेरी मेहनत पर मिली है जो शोहरत उनको शोहरत मिलते ही मुझसे वह दोस्ती टूट गयी।
सब टूट गये सब छूट गये, 
सपने सारे छूट गये ।

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