Jyoti yadav 14 Jun 2023 गीत अन्य क्या लिखूं शब्द ही नहीं है 9045 0 Hindi :: हिंदी
कोरे है कागज मेरे ,स्याही की कमी है क्या लिखूं, शब्द ही नहीं है कितनी अजीब है ये जिंदगानी देखो पढ़ो क्या कहता है इन नयनों का पानी यूं तो हर दफा मुस्कुराती हूं कोई हाल पुछे ,एकदम मस्त बताती हूं कहने को तो पुरा जहान है मेरा बस उड़ने के लिए नीला आसमान ढुढती हूं नींद हैं सपने भी दुनिया है और अपने भी इन अपनों में अपना मुकाम ढुढती हूं कौन हूं मैं, बस अपना पहचान ढुढती हूं कोई मुझे अबला तो कोई मुझे नारी कहता है कोई मुझे पागल तो, कोई मुझे बेचारी कहता है सुनकर अल्फाज सबके, नसीब सोचती हूं होठों पर अब भी मुस्कान है बस आंखों में नमी है। कोरे है कागज मेरे स्याही की कमी है क्या लिखूं शब्द ही नहीं है