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मैं अछूत हूं-मेहनत की कमाई खाता हूं

Rambriksh Bahadurpuri 29 May 2023 कविताएँ समाजिक #Rambriksh Bahadurpuri #Rambriksh Bahadurpuri kavita #Rambriksh Bahadurpuri Ambedkar Nagar #kavi rambriksh Bahadurpuri #achhoot per kavita #jaati per kavita #Samagic kavita 6860 0 Hindi :: हिंदी

मैं अछूत हूं !

गरीब हूं तो
क्या हुआ !
इमानदारी से
कमाता हूं
दो रोटी ही सही 
मेहनत की कमाई
खाता हूं। 

मुझे
कष्ट नहीं है
न अफसोश है
कि मैं गरीब हूं, 
दुख है ! कि
लोग मुझे
कहते हैं कि
मैं अछूत हूं!

एहसास करो
गरीबी खराब 
नही होती,
खराब होती है
अमीर लोगों
की सोंच
जिनके लिए
इंसानियत
नही होती। 

एक गगन तल
एक धरा पर
हवा एक ही
एक ही पानी
रक्त वही है
अस्थि वही
फिर क्यों?
गढ़ा गया
कहानी। 

कभी 
खाने के लिए
साथ बैठाया
नहीं जाता,
कभी कभी तो
खाने पर से
उठाया गया
भुलाया
नहीं जाता। 

मेरी औकात
जूठे पत्तल
उठाने के लिए
गंदगी
साफ करने
के लिए 
बताया जाता है,
और 
कभी कभी तो
अपमानित करके
बहन बेटियों के 
भय से
डराया जाता है। 

मैं हमेशा
क्यों?
जन्मजात 
छुआछूत हूं,
साहब मैं 
अछूत हूं। 


           रचनाकार -
      रामबृक्ष बहादुरपुरी 
  अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश 
       9721244478

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