SHUBHAM PATHAK 04 Jul 2023 कविताएँ राजनितिक 7188 0 Hindi :: हिंदी
जब संगठन में था तो सिर्फ हिंदू था जब से पार्टियों में आया हूं तब से, समाजों में छट गया हूं नेताओं के गुटों मै बस बट सा गया हूँ हिंदुत्व पहचान थी, अब तो लिस्ट से ही हट सा गया हूँ एक दायरा था जिले का, अनुभव था काफिले का, अब तो अपनों से ही कट सा गया हूँ. जब से पार्टियों में आया हूं तब से, समाजों में छट सा गया हूं कोई ब्राम्हण, गुर्जर, बंजारा, कोई राजपूत है पहले गर्व करो यारों हम भारत माता के सपूत है. जल्दी ही पार्टियों को छोड़ दूंगा, पार्टियों के चक्रव्यू को तोड़ दूंगा, मै फिर से संगठन मै वापस आऊंगा, मै फिर से सिर्फ हिन्दू वादी, कार्यकर्ता ही कहलाऊंगा बड़े नेता से अच्छा छोटा हिन्दू कार्यकर्ता बनना है, किसी नेता के लीये नहीं, सिर्फ हिंदुत्व के लीये तनना है गौ रक्षा, धर्म रक्षा, राष्ट्र हित के लीये जागना है मुझे सिर्फ मैरे सनातन धर्म के लीये जीना और मरना है अंतिम पंक्तिया गाता हूँ दोस्तों जिनके लीये राजनीती मै फिर आऊंगा आऊंगा राजनीती मै जब समाज सेवी चुनाव लड़ेंगे आऊंगा राजनीती मै जब कोई हिन्दुवादी चुनाव लड़ेंगे जगूंगा, दोडूंगा, थाकूंगा जब देश का सच्चे हितेषी चुनाव लड़ेंगे हम युवा आपके लीये ढाल और दुश्मन के लीये मिसाइल बन कर खड़ेंगे