संदीप कुमार सिंह 29 Apr 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4806 0 Hindi :: हिंदी
छलियों से बचकर रहें, कर देगा नुकसान। होगी बदनामी अधिक, तन मन हो बेजान।। छलियों से बचकर रहें,खुद पर हो विश्वास। दुनिया को हो गर्व तब, सभी लगाए आस।। छलियों से बचकर रहें, हो जाएं विख्यात। सफल मनुज बन आप तब, दिखें दिव्य अभिजात।। छलियों से बचकर रहें,चलें प्रगति की ओर। जिससे सबका हो भला,आए दृढ़ अंजोर।। छलियों से बचकर रहें,अति खुशियाँ हो पास। जीवन सौरभ स्वर्ग हो,मिले सुखद अहसास।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....