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फँसकर माया मोह में

संदीप कुमार सिंह 30 Apr 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5817 0 Hindi :: हिंदी

फँसकर माया मोह में,मनुज हुआ है खूब।
असली जीवन  है यही,मानवता में डूब।।

फँसकर माया मोह में,भी खिलते हैं फूल।
होते नहीं समान सब,जीवन का यह मूल।।

फँसकर माया मोह में, पा सकते हैं मोक्ष।
पूर्ण करें कर्तव्य को,सभी कहेंगे चोक्ष।।

फँसकर माया मोह में,पूरा लें आनंद।
जीवन है आनंद में,खाएं फल वो कंद।।

फँसकर माया मोह में,अपनों का हो संग।
जन्म मरण के खेल में,रखें खुशी का रंग।।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍🏼
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

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