संदीप कुमार सिंह 28 Apr 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत मेरी यह कविता समाजिक हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें तथा आनंद प्राप्त करेंगे। 6303 0 Hindi :: हिंदी
उसके इश्क में मैंने हर दहलीज पार कर दिया जीवन सारा उस पे ही मैंने निसार कर दिया। सारे गमों को छुपाते हुए हस कर पेश आता रहा और लगातार खुशियाँ भरी उपहार दिया। दिल के जर्रे _जर्रे पर उसका ही नाम था सारे ख्वाबों को उसी के नाम मैंने कर दिया। जो हसीन सपनों को बुना था कभी साथ में, आज सारे सपने टूटकर दिल तोड़ दिया। जिसके ख्यालों में जागना _सोना होता था आज उस ने मेरे जज्बातों को रक्तमय कर दिया। जब मैंने देखा उसे किसी गैर की बाँहों में वह क्रूर दृश्य मेरे साँसों को रोक दिया। आह की एक आवाज़ मुँह से निकली और मैंने उस से विमुख खुद को कर दिया। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....