संदीप कुमार सिंह 18 Nov 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है।जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभांवित होंगे। 4367 0 Hindi :: हिंदी
#विधा:- मुक्तक छंद #"सृजन समीक्षार्थ प्रस्तुत" माया जोड़ी रात दिन,लिया बहुत ही दर्द। सबल किया परिवार को,बना रहा दृढ़ मर्द। हँसकर आगे को बढ़ा,चूमा दुष्कर राह- जज्बा ऐसा खास था,फूल बना नित गर्द।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:-समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....