Poonam Mishra 24 Apr 2023 ग़ज़ल समाजिक अपनी मंजिल तक पहुंचना आसान नहीं है 6876 1 5 Hindi :: हिंदी
अपनी मंजिल से कहां अपनी मंजिल तक चले हम हैं? जिंदगी की हवाओं का रुख जिस तरफ मुड़ जाता है शायद उस तरफ से मुड़ गए हम हैं मंजिल कहीं पीछे छूट जाती है कौन कहता है कि आसान है मंजिल तक पहुंच पाना, मुझे तो अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए हवाओं ने रोका? इस शहर ने रोका? इस आसमान ने रोका? हर तरफ से आने वाली आवाजों ने रोका! मेरे कदम कैसे ठहर गए हैं अपनी मंजिल से भटक से गए हैं पूनम मिश्रा उत्तर प्रदेश वाराणसी
1 year ago