RANJIT MAHATO 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद मैं गंगा हुँ #i am Ganga #Holy Ganga River 19787 0 Hindi :: हिंदी
मैं गंगा हुँ , आदि युग से ही मुझे पवित्र माना जाता था | अदि युग से ही मुझे अमृत के सामान माना जाता था | अदि युग से मनुष्य अपने पापो को धोने मेरे पास आते थे | अदि युग से ही कई ग्रंथो में मेरा वर्णन था | अदि युग से ही मैं पवित्रता का प्रतिक थी लेकिन आज मैं विषैली हो चुकी हुँ | मनुष्यों ने सारा विष मुझमें घोल दिया | मेरे दोनों किनारों पर न जाने कितने नगर बने | कितने मानव सभ्यताओं का विकाश हुआ | उन किनारो पर बसने वाले नगरों का विष मुझमे घोला जा रहा है | अब मैं अपनी अंतिम साँसे गिन रही हुँ | अब मेरे साँसों की डोर टुट रही है | तुम चहो तो मेरे साँसो की डोर टुटने से बचा लो | मैं गंगा हुँ | By- Ranjit Mahato
My name is Ranjit Mahato and I am self-employed by profession. I have a passion for reading and writ...