Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

मैं गंगा हुँ

RANJIT MAHATO 30 Mar 2023 कविताएँ दुःखद मैं गंगा हुँ #i am Ganga #Holy Ganga River 19787 0 Hindi :: हिंदी

मैं गंगा हुँ ,
आदि युग से ही मुझे पवित्र माना जाता था |
अदि युग से ही मुझे अमृत के सामान माना जाता 
था |
अदि युग से मनुष्य अपने पापो को धोने मेरे पास आते थे |
अदि युग से ही कई ग्रंथो में मेरा वर्णन था |
अदि युग से ही मैं पवित्रता का प्रतिक थी 
लेकिन आज मैं विषैली हो चुकी हुँ |
मनुष्यों ने सारा विष मुझमें घोल दिया |
मेरे दोनों किनारों पर न जाने कितने नगर बने |
कितने मानव सभ्यताओं का विकाश हुआ |
उन किनारो पर बसने वाले नगरों का विष मुझमे घोला जा रहा है |
अब मैं अपनी अंतिम साँसे गिन रही हुँ |
अब मेरे साँसों की डोर टुट रही है |
तुम चहो तो मेरे साँसो की डोर टुटने से बचा लो |
मैं गंगा हुँ |

By- Ranjit Mahato

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: