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मानव और दानव-दोनों में विशाल अंतर

संदीप कुमार सिंह 08 Jun 2023 आलेख समाजिक मेरा यह आलेख समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 4672 0 Hindi :: हिंदी

मानव और दानव शब्द देखने तथा सुनने में तो एक सदृश्य लगता है। लेकिन दोनों में विशाल अंतर है। कभी जब धरा पर दानव भी हुआ करता था। दानव भी तप करता था और मानव भी तप करता था। तप के बल पर भगवान इच्छित वरदान मांगने को कहते थे। तो वैसा ही मानव या दानव वर मांग लेता था। अब दोनों में खास अंतर यह हो जाता की मानव तो वरदान का प्रयोग मानव कल्याण के लिए करता था। जबकि दानव वरदान का प्रयोग मानवों के नाश के लिए करता था। लेकिन आज धरा पर से दानवों का नामोनिशान मिट गया। परन्तु मानव जाति आज भी धरा पर राज कर रहा है। तो ठीक इसी तरह विचार के भी दो प्रकार होते हैं:_एक मानवीय विचार ओर दूसरा दानवीय विचार। अब आपको, हमको या सारी मानव जाति को यह फैसला करना है की किस विचार के माध्यम से जीवन के रथ को आगे बढ़ाया जाए। जबकि अधिकतर आज के समय में दानविय विचार के परिणाम से अवगत है। उदाहरण स्वरूप आज दानव जाति का समूल नष्ट हो चुका है। इसलिए प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती है। अतः दानवीय प्रवृत्ति को नष्ट कर मानवीय प्रवृत्ति के साथ जीवन के रथ को गर हाँकते हैं तो अपना भी भला होगा और सारे विश्व का भी भला होगा।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)
बिहार

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