Shubham Kumar 30 Mar 2023 आलेख समाजिक चिंता किस को छोड़ा है 31541 0 Hindi :: हिंदी
प्रसन्न रहना सीखो, मैं जानता हूं हम सारा दिन, प्रसन्न नहीं रह सकते, मेरे मन में, चिंता समा जाती है, जब चिंता समा जाती है तो,, मेरे दिल में एक डर सा, जाग जाता है,, वह डर मुझे, अंदर ही अंदर कमजोर कर देती है,, एक अनजान सा, डर के साथ जीवन चलता है,, कभी कर्जे वाले का डर,, तो कभी पैसे की चिंता,, कभी स्वास्थ्य की चिंता, कभी परिवारों की चिंता, ऐसे कितने ही चिंता है,, जो आम आदमी को, लाचार कर देता है,, पर डर कर रहना, चिंता का विषय है,, चिंता है तो डर है, डर है तो असफलताएं हैं,,( मैं अपने जीवन की सारी चिंताएं) मिटा तो नहीं सकता,, लेकिन मैं सुबह उठकर, बगीचे की तरफ चला जाता हूं, जहां चिड़ियों की बोलियां, सुनकर ऐसा लगता है_ जैसे उसे भी, चिंताओं ने नहीं छोड़ा_ वह भी आपस में" लड़ते झगड़ते" रहते हैं" उसे भी अपने परिवारों की, चिंता है,, मधुमक्खियां अपनी छतों पर बैठी है,, रहती है, और वह भी चुप नहीं रहती है, वह भी बेचैन रहता है, जैसे उसे भी चिंताओं ने नहीं छोड़ा,, पशु पक्षियों को देखता हूं,, जब मैं रास्ते से जाता हूं,, तो कुछ जानवर, रास्ते पर सोए रहते हैं,, और उन्हें भी, कभी अपनी पूछ हिलाते देखी है,, वह मच्छरों की चिंता से, कभी मक्खियों की चिंता से,, रात भर कैसे नींद , लेता है इस बात से, मैं भी चिंतित होता हूं,, पर वह कैसे सोते हैं,, कभी रास्ते में, हमने कुत्तिया को देखा है,, उनके छोटे-छोटे बच्चे, उनके साथ चलते हैं,, और कुत्तिया अपने बच्चे को,, ठीक से दूध भी नहीं पिला सकता,, उसकी नजरें बेचैन है, उसे शायद कोई रोटी का टुकड़ा दे दे,, तब उसकी भूख मिट जाए, वह अपने बच्चों को आराम से दूध पिला सके, उसे इस बात की चिंता है,, रास्ते में हमने, कुछ घोड़ों को देखे हैं, जिनकी गाड़ियां पर, अनेकों समान का बोझ होता है, उसे भी इस बात का चिंता है, कोई उसका बोझ कम कर दे, तो वह बड़े आराम से चल सके,, उसे इस बात की चिंता है,, कभी कोयल को देखता हूं, वह इतना मधुर गाती है, जिसे सुनकर मन प्रसन्न हो जाता है, लेकिन वह इंसानों से छिपकर रहती है,, उसे भी अपनी सुंदरता का चिंता है, शायद उसे भी कोई खूबसूरत बना दे,, हमने मछलियों को देखा है,, छोटी-छोटी मछलियां, खेला करती है, उनकी नजरें बेचैन रहती हैं, जब कोई बड़ा मछली आता है, तो वह भी चिंता मैं पड़ जाती है,, शायद इस तालाब में कोई बड़ा मछली ना हो, तुम ही बताओ चिंताओं ने किस को छोड़ा है,
Mujhe likhna Achcha lagta hai, Har Sahitya live per Ham Kuchh Rachna, prakashit kar rahe hain, pah...