Samar Singh 24 Apr 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत जब अपने किसी दिल अजीज को अपना मोबाइल नम्बर दे दे और फिर वो कभी आपको फोन न करें, फिर कैसे - कैसे अपना सिम सम्भाल के रखता है, इस उम्मीद से कि कभी न कभी वो फोन करेगा। 7915 0 Hindi :: हिंदी
कुछ वादे थे, या सिमकार्ड के कीमत ज्यादे थे, मैं समझा नहीं क्या उनके इरादे थे,। जमाना बदला, तकदीर पर कई बार हुआ हमला, फिर भी हमने अपना नम्बर नहीं बदला। पुराने गानों की धुन में, कितने साल बीते, मौसम भी हुए रीते, कितनों ने लैपटॉप खरीदे, कितनों ने मोबाइल जीते। न खिला कोई फूल, टूटा पड़ा दिल का गमला, फिर भी हमने अपना नम्बर नहीं बदला। यह तो था हमको यकीन, कि काल नहीं तो जरूर आयेगा मिसकाल। या भर जायेगा इनबाक्स मैसेज से, बजेगा कभी न कभी रिंगटोन बेमिसाल। टूटा है नेटवर्क का भरम, बदल गया अपना खयाल। मैं इस ठंडी में भी अंदर- अंदर जला, फिर भी हमने अपना नम्बर नहीं बदला। इस तरह वो भूले हमें, जैसे राहों पर मिला कोई गैर, क्यों कर गये हमसे बैर। सूरज किरण के जैसे थी अपनी दोस्ती, फिर सफर कैसे पूरा होगा उनके बगैर। वो क्या जाने हम तो मानते है मित्र पहला, फिर भी हमने अपना नम्बर नहीं बदला। उनके हाथों में न थे मोबाइल, लिए होंगे अब तो, करते होंगे स्माइल, कुछ नम्बर भी सजे होंगे फाइल में, बदली होगी स्टाइल।। इनकी इस बेरुखी से अपना सूरज ढला, फिर भी हमने अपना नम्बर नहीं बदला।। इस पतझड़ में भी, मेरे घर सावन आया। हैंडसेट पुराना हुआ, नया मोबाइल लाया। इस खुशी के मौके पर, दिल ने सैड सॉन्ग गाया, पुराना हैंडसेट हटाकर नये में बदला, फिर भी हमने अपना नम्बर नहीं बदला।। किसी और से खबर, आती रही मगर, न आई तो कभी मिसकाल की जहर, न मैसेज की लहर, न आया समझ में अब तक मामला, फिर भी हमने अपना नम्बर नहीं बदला।। रचनाकार- समर सिंह " समीर G "