Samar Singh 16 Jun 2023 गीत दुःखद वो इस तरह से रुसवा करके चले गये और हम समझ नहीं पाए कि उन्हें प्यार था या नहीं। 8595 0 Hindi :: हिंदी
चले गए बुझा के नजरों से चाहत का चिराग, कर गए रुसवाई की बरसात, धधकती रही आग। छोड़ गए हमको तड़पने के खातिर इस कब्र में, उम्मीद का दामन ना छूटा है, पड़ा हूँ इसी सब्र में, मंजिल भटक गयी, न जाने किस गली में, गूंजता है एक सवाल हरदम, खेल प्यार के असली नकली में।। रचनाकार- समर सिंह " समीर G "