राणा प्रताप कुमार 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 27768 0 Hindi :: हिंदी
नहीं सुरक्षित आज के नारी। कदम कदम पर अत्याचारी। कभी ब्लैकमेल कभी फरेब के मार। कभी हो जाये यौन उत्पीड़न का शिकार । आज के नारी इस जग में हारी। क्रोध भय से कब मुक्ती हारी। कभी अंधेरा उसको सताये। कभी सुनसान में मन घबराये। कही दहेज प्रथा के है बिमारी। कितने बहु बेटीयो ने जान गवायी। कही तलाक तो कही विधवा नारी। अकेले बच्चो के साथ जीवन गुजारे। दरिंदगी करके दरिंदा घुम रहा है। कानुन कुछ नही कर पा रही। अगर उनको सजा भी हो जाए। पैसा देकर बाहर आ जाये। लेखक - राणा प्रताप कुमार आजमगढ़ उत्तर प्रदेश। मो0 न0- 7347379048