बासुदेव अग्रवाल 30 Mar 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत एकावली छंद, बासुदेव अग्रवाल 78159 0 Hindi :: हिंदी
किसी से, दिल लगा। रह गया, मैं ठगा।। हृदय में, खिल गयी। कोंपली, इक नयी।। मिला जब, मनमीत। जगी है, यह प्रीत।। आ गया, बदलाव। उत्तंग, है चाव।। मोम से, पिघलते। भाव सब, मचलते।। कुलांचे, भर रहे। अनकही, सब कहे।। रात भी, चुलबुली। पलक हैं, अधखुली।। प्रणय-तरु, हों हरे। बाँह में, नभ भरे।। खोलता, खिड़कियाँ। दिखें नव, झलकियाँ।। झिलमिली, रश्मियाँ। उड़ें ज्यों, तितलियाँ।। हृदय में, समा जा। गले से, लगा जा।। मीत जब, पास तू। 'नमन' की, आस तू।। *********** एकावली छंद विधान - एकावली छंद 10 मात्रा प्रति पद का सम मात्रिक छंद है जिसमें पाँच पाँच मात्राओं के दो यति खण्ड रहते हैं। यह दैशिक जाति का छंद है। एक छंद में कुल 4 पद होते हैं और छंद के दो दो या चारों पद सम तुकांत होने चाहिए। इन 10 मात्राओं का विन्यास दो पंचकल (5, 5) हैं। पंचकल की निम्न संभावनाएँ हैं :- 122 212 221 (2 को 11 में तोड़ सकते हैं।) ****************** बासुदेव अग्रवाल 'नमन' © तिनसुकिया