Rambriksh Bahadurpuri 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक #Rambriksh Ambedkar Nagar Kavita #godaan per kavita #godaan ka hori kavita Rambriksh Ambedkar Nagar # 72354 0 Hindi :: हिंदी
कविता -गोदान का होरी होरी आज के समाज का मेहनती निर्धन गरीब गोदान के अध्याय का, ठगता रहा शोषित रहा पीड़ित रहा कर्जदार है ठेकेदार का, होरी, आज भी डूबा हुआ है कर्ज में फर्ज में मर्ज में व्यथा और दर्द में कट रहा है जीवन कैसे? होरी जैसे इंसान का। होरी, सहता गया बिकता गया पिसता गया ईमान से इस लिए कि सच्चा था अच्छा था कर्म और व्यवहार से, हे! कलम के सिपाही लिख जा कह जा रोक जा तू रूढ़ियां भर जा इंसानियत खोखले खाली पड़े दिमाग में, आज के भी सामाजिक ठेकेदार का। गोदान के अध्याय का। रचनाकार -रामबृक्ष आम्बेडकर नगर।
I am Rambriksh Bahadurpuri,from Ambedkar Nagar UP I am a teacher I like to write poem and I wrote ma...