संदीप कुमार सिंह 11 Jun 2023 ग़ज़ल प्यार-महोब्बत मेरी यह गज़ल समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 5836 0 Hindi :: हिंदी
एक मासूम सी बाला मुझ पर मरती थी, जो हुस्न की मल्लिका जैसी नव लगती थी। एक अनजान मुलाकात कभी जो थी हुई, जिसमें वह जादू भरकर बातें करती थी। मुलाकात यादगार बन गई दोनों खुशी, से विदा हुए सरल मन में दीप जलती थी। एक दूजे पर अब हम हरदम मरने लगे, हरपल मिलने की खुशबू आहें भरती थी। अब एक दूजे में खोए हम रहने लगे, नज़र दीदार के लिए तरसती रहती थी। भेंट और उपहार का सिलसिला शुरू हुआ, अब एक होने की भावना नित जगती थी। जो हाल हृदय का इधर वैसा ही था उधर, दो बदन एक जान बने चाह मचलती थी। वह शुभ घड़ी आ ही गई अब हम बंध गए, नई दुनिया में जहां मधु बहार रहती थी। संदीप खुशियों की जगत में मस्त हो गया, मेरा प्यार कामनी खूब मस्त रहती थी। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍️ जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा) बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....