Dr. Arun Kumar Shastri 24 Apr 2023 शायरी समाजिक शायरी 7113 0 Hindi :: हिंदी
* फ़जीअत * पान खाकर थूकना इधर उधर दुश्वार हो गया मुहं रंगे पब्लिक में आकर शर्मोसार हो गया | सोचा था इश्क में हम भी करेंगे आजमाइश एक दिन हाल देखा जब किसी का तो दिल से इन्कार हो गया | तेरी गली मेरी गली थी एक दम से सटी सटी सिर्फ़ चेहरे का नकाब यारों मेरा दुश्मनें यार हो गया | तौबा तौबा हालत पे मिरी मेरा हँस पडा पर्दा उठा चांद दिखा दिल का तार तार हिल गया | मेरी *अबोधिता ने मुझसे पूंछ डाले अनेकों सवालात चक्कर से आ गये, मितली हुई , और दिमाग फिर गया