संदीप कुमार सिंह 23 Jun 2023 कविताएँ समाजिक मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी लाभान्वित होंगें। 7647 0 Hindi :: हिंदी
(दोहा छंद) मुझे मिली है कामनी,हुआ परिवार स्वर्ग। दौलत अब नित ही बढ़े,लिखता हूं अरु सर्ग।। चमकी जब भी दामनी,उत्सुकता हो खास। नजर गगन को देख कर,मन में हो उल्लास।। (स्वरचित मौलिक) संदीप कुमार सिंह✍🏼 जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार
I am a writer and social worker.Poems are most likeble for me....