Mk Rana 25 Sep 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत MKRana 10830 0 Hindi :: हिंदी
तू हंस सवेरे की उजाला है, यह अंधियारा का स्वप्न सजाया है, दिल ने ज्योहिं सपना देखा, मैं तुझसे प्रीत लगा बैठा । मैं अनजान हूं तू कौन है, दिल बड़ा भोला है इसे सताए क्यों, ज्योहिं आंखें खुलती है तू हवा बन उड़ जाती हो, दिल का समझ बस प्रीत से है इस रुलाए क्यों। तू चाहे नादानी कह ले, तू चाहे मनमानी कह ले, मैं जो भी रेखा खींचना चाहा, तेरी सपनों में खो बैठा । नगर नगर में भटक रहा हूं, खुली आंखे एक झलक पा जाने को, ना कहीं सुकून ना कहीं चैन, मैं प्यासा तेरी तृष्णा में खो जाने को। तू चाहे दीवाना कह ले, या उन्मुक्त मस्ताना का ले, जिस जिसको मैंने बताया वह, मुझे पागल मूर्ख बना बैठा। जब नयन झुक जाती है, निर गगन बन मीठी गीत सुनाती हो, करवट बदल रहा हूं लहरों में, सोचे आंखें खोलू पर पंछी बन उड़ जाती हो। मैं अब तक जान ना पाया हूं, क्यों तुझे मिलने आया हूं, मैं जिस पथ पर भी चल निकला, तेरे ही दर पर जा बैठा। स्वप्न बना अब ख्वाब की राह, हर जिवों में बस तू ही तू, मैं दिल की पीड़ा सह ना सकूं, कुछ कहना चाहूं कह ना सकूं। तू चाहे तो रोगी कह ले, या बावला योगी कह ले, मैं तुझे हकीकत देखने में, अपना शुद्ध बुद्ध को बैठा।