Shubham Kumar 30 Mar 2023 आलेख दुःखद मैं और मेरा मनोबल,, 34269 0 Hindi :: हिंदी
(तीन लड़के आपस में बैठे हैं) तभी वहां पर चौथा जाता है,, आपस में बातें होती है,,, शाम एक अच्छा लड़का है,, वह कुछ करना चाहता है,,( तभी कुछ ऐसी बातें) श्याम को देखो जरा" यह कहानियां लिखेगा,, तेरे जैसे कितने बड़े बड़े,, आते हैं और चले जाते हैं,, छोटी मुंह बड़ी बात,, अरे अपनी औकात देखी थी पहले,, अपनी योग्यता जानते हो,, हां तुम कितने काले भी हो,, तेरे से अच्छे कौवे हैं, तेरी कहानी को लोग क्यों , पढ़ेंगे😪 और सभी श्याम पर हंसने लगते हैं, हां तू तो नाटा भी है, अरे क्या बताऊं,, लंगड़ा भी कहता है कि मैं घोड़ा चढूंगा,, अगर तू कहानी लिख भी देता है,, तो लोग इसको नहीं पढ़ेंगे, जा मंदबुद्धि, चुप कर बड़े-बड़े से जो कार्य नहीं होता, उस कार्य को तू कर पाएगा,, इसमें बहुत परेशानियां हैं,, यह कार्य तेरे बस की नहीं,,( श्याम बहुत उदास हो जाता है) उसका मनोबल टूटता जाता है,, उसका मनोबल क्यों न टूटे, आज इंसान सामने वाला व्यक्ति,, कोई कार्य करना चाहता है,, तो किसी प्रकार से,, बस उसके मित्र जान जाए,, कार्य होने से पहले, अगर तुम दूसरे से राय लेते हो,, तो बस तुम्हारे अंदर कमियां बताएंगे,, तुम्हें कमजोर समझेंगे,, तुम्हें गिराने की कोशिश करेंगे,, पर तुम्हें मजाक के पात्र बना लेते हैं,, इससे हमारा मनोबल टूटता है,, तुम बातें उनसे ही करो,, जो तुम्हारा मनोबल बढ़ाएं,, क्योंकि मनोबल बढ़ने पर, ही हम किसी कार्य को अंजाम दे सकते हैं,, इस वार्तालाप में- एक लड़का,, यह कह कर, श्याम का मजाक उड़ाता है,, नाटा और काला है, दूसरा लड़का- यह कहता है, के श्याम के पास, वह बात नहीं जो औरों में होती हैं_ एक व्यक्ति उसकी हैसियत पूछता है,,_ श्याम क्या उत्तर देगा, श्याम कैसे अपने कार्य में सफल होगा,, इसे कहते हैं मनोबल को घात करना,_ तू खुद पर यकीन कर इतना,, कि लोगों की निंदा फटकार से,, तेरा मन भी विचलित ना हो__ अपने कार्य के लिए, लोगों से पूछना छोड़ दो, और लोगों के कार्य के लिए, लोगों से जानना शुरू कर दो,_ तुम आए थे एक मुट्ठी बांधकर, क्या तुम्हें मालूम नहीं,, उसमें तेरा मनोबल था,, क्या तुम्हें यकीन नहीं,, फिर क्यों घबरा जाते हो लोगों की बातें सुनकर__ लोग तो कहेंगे ही, क्योंकि उन्हें तो तुम्हारा नाम भी नहीं पता,, तुम कौन हो तुम नहीं जानते,,_ जो तुम्हारा नाम है यह तो संसार का नाम है, तुम खुद नहीं जानते,_ तो फिर से सुन ले,, तू जब जन्म लेकर आया था इस जहां में,, चलने से पहले तेरे हाथ में,_ तुम्हारा मनोबल था,_ बोलने से पहले_ तुम्हारा दुखी होना था_ और सुखी होना था,_ दुख सुख की तुलना, अपने लक्ष्य से ना करो,_ मनोबल से बड़ा कोई बल नहीं होता_, उस समय तुम्हारे हाथ बंधे थे, लेकिन तुम्हारे पास मजबूरियां नहीं थी,, तुम्हारे पास कमी नहीं थी, आज तुम्हारे हाथ बंद है नहीं, फिर भी तुम लाचार हो,, आज तुम नाकाम होकर जीते हो, एक राज की बात बताऊं,, ऐसे लोगों के लिए सबसे अच्छा मित्र, उसका सपना ही है,, जो सपने में, सब कुछ पा लेता है, यही तो है अपना मनोबल,, इसे बढ़ने दो हमेशा, तुम रुकना नहीं, इसे चलने दो हमेशा,
Mujhe likhna Achcha lagta hai, Har Sahitya live per Ham Kuchh Rachna, prakashit kar rahe hain, pah...