Join Us:
20 मई स्पेशल -इंटरनेट पर कविता कहानी और लेख लिखकर पैसे कमाएं - आपके लिए सबसे बढ़िया मौका साहित्य लाइव की वेबसाइट हुई और अधिक बेहतरीन और एडवांस साहित्य लाइव पर किसी भी तकनीकी सहयोग या अन्य समस्याओं के लिए सम्पर्क करें

मैं क्या तुझे डर जाऊंगा

DIGVIJAY NATH DUBEY 24 May 2023 कविताएँ समाजिक #दिग्दर्शन 6713 0 Hindi :: हिंदी

तू क्या समझा ऐ व्यभिचारी
मैं क्या तुझे डर जाऊंगा 
शांत हृदय सा था मैं बैठा 
तूने ही हुंकार लगाया
क्रोध की चिंगारी बिखराकर
तूने दिल में आग लगाया
मैं क्या इतना कायर हूं 
जो तेरे आगे झुकता जाऊं
क्या मैं एक नालायक हूं
जो हक से पीछे हटता जाऊं
अब जो आया हु इस रण में
तेरी सेना छिण करूंगा
अपने इस बाहूं बल से
तेरी सत्ता बदल सकूंगा
आ जाओ जिसको है आना
इस रण के खूनी संघर्ष में 
चुन चुन के बदला लूंगा अब
कपेंगा तू थर थर थर में
मेरा ही अब राज चलेगा
अब बदलूंगा मैं नियम सारे
जिसको आना साथ में आओ
कायर पीछे हट जा सारे
मंशा मेरी यही रही अब
अपने कर्म को करता जाऊंगा 
खत्म हुई तेरी अब पारी
नया सवेरा मैं लाऊंगा
तू क्या समझा ऐ व्यभिचारी
मैं क्या तुझे डर जाऊंगा ।।

दिग्दर्शन !

Comments & Reviews

Post a comment

Login to post a comment!

Related Articles

शक्ति जब मिले इच्छाओं की, जो चाहें सो हांसिल कर कर लें। आवश्यकताएं अनन्त को भी, एक हद तक प्राप्त कर लें। शक्ति जब मिले इच्छाओं की, आसमा read more >>
Join Us: