Anonymous 30 Mar 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग #upचुनाव 22424 0 Hindi :: हिंदी
आजकल गरीबों का सम्मान बढ़ गया, जो कभी नीच थे, उनकी जूती , सर चढ़ गया, ये क्या हुआ जमाने को ? क्यों बदलाव आया है? लगता है , फिर से चुनाव आया है। अचानक हम आदर के पात्र हो गए, कर जोर लफंगे, सुपात्र हो गए, कौवे सी बोली थी ? क्यों कोयल सा भाव आया है ? लगता है, फिर से चुनाव आया है। अहम की बाते सब , वहम हो गए, हमसे आशीष भी, सहन हो गए, बरगद क्यों माँगने ? दूब से , छाव आया है , लगता है, फिर से चुनाव आया है। विकाश के मुद्दे, अब जिंदा हो गए, बिना पंख कछुआ , परिंदा हो गए, क्यों आँखें खुल गई ? क्या अभाव आया है ? लगता है,फिर से चुनाव आया है । चेहरे की खुशी , और होठों की मुस्कान, खादी की सफेदी, पर मूछों की शान , बातो की चक_चक , अंगूठा निशान, कितना परिवर्तन ? कैसा स्वभाव आया है, लगता है फिर से चुनाव आया है।