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धरती मां

Ashok Kumar Yadav 30 Mar 2023 कविताएँ समाजिक 68809 0 Hindi :: हिंदी

कविता- धरती मां

तू ममता की मूरत है
मेरी माता की सूरत है
जननी जन्मभूमि मां
मुझे तेरी जरूरत है

मां की पेट से निकल
मैं हो गया था विकल
अपनी आंचल में लेकर
कर दिया जीवन सफल

नींद भर सोता हूं गोद
लेकर चेहरे में आमोद
चलता था घुटनों के बल
खा जाता था मिट्टी खोद

पैरों के बल चलना सिखाई
अद्भुत मनोरम दृश्य दिखाई
युवा हुआ मैं उंगली थामकर
धरा की करने लगा कविताई

नित नया पुछना एक सवाल
रख सकूं मैं तुम्हारा ख्याल
बेटा हूं मैं तुम्हारा आज्ञाकारी
मरते दम तक करूंगा देखभाल

कवि- अशोक कुमार यादव 
पता- मुंगेली, छत्तीसगढ़ (भारत)
पद- सहायक शिक्षक
पुरस्कार- मुख्यमंत्री शिक्षा गौरव अलंकरण 'शिक्षादूत' पुरस्कार 2020
प्रकाशित पुस्तक- 'युगानुयुग'

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