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गांव की विपत्ति

Anjani pandey (sahab) 23 Apr 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग गांव देहात की कविता########@@@❣️❣️ 8060 0 Hindi :: हिंदी

सुबह की रोशनी जैसे मिमियाती बकरी
         थोडा सा धूप हुई जैसे कन खडे खरगोश
लू सी बहती गरम दुपहरी जैसे चतुर लोमड़ी
         हुई सांझ की होई गय बवाल  भूखी शेरनी आय पड़ी।।
            कोई भागे घर के अंदर कोई छत पे चुप चाप पड़ा
हम खेतन फसल रखाई 
                           हमरे ऊपर बीपत पड़ा 
हम राम नाम के सुमिरन कीन्हा 
                  हमरो कान होई गवा खड़ा 
हम मंदिर की ओरी आज जिएरा पा आफत पड़ा 
                  अब बचैहय हरी प्रभु, हम चरणन में तिहरे आय पड़ा

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