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आईने की तुझे जरुरत नहीं-तुम खुद एक आइना हो

संदीप कुमार सिंह 09 Aug 2023 कविताएँ प्यार-महोब्बत मेरी यह कविता समाज हित में है। जिसे पढ़कर पाठक गण काफी रोमांचित होंगें। 11659 1 5 Hindi :: हिंदी

आईने की तुझे जरुरत नहीं तुम खुद एक आइना हो।
शीशे जैसा चमकता तेरा बदन तुम एक मृदु हसीना हो।
 देखने के बाद लोग खुदबखुद चार्ज होने लगता है_
कुदरत के खजाने का तुम अदभुत अनमोल नगीना हो।
(स्वरचित मौलिक)
संदीप कुमार सिंह✍️
जिला:_समस्तीपुर(देवड़ा)बिहार

Comments & Reviews

Saurav Singh
Saurav Singh गजब पोस्ट

8 months ago

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